कानपुर के श्री अशोक कुमार साहू को महामहिम राष्ट्रपति भारत सरकार श्री रामनाथ कोविन्द जी द्वारा पद्मश्री से नवाजा गया। श्री अशोक कुमार साहू का ये सफर पूरे तीस साल का है जिसमे विस्तर पर पड़े मानसिक रोगी ने न केवल स्वयं को स्वस्थ बनाया बल्कि लगभग 25 हजार लोगों को जीने की राह दिखायी । उनके द्वारा ड्योढ़ी घाट पर स्थापित विपश्यना ध्यान केन्द्र में भारत ही नहीं बल्कि 100 से अधिक देशों के नागरिक आकर आत्मिक शुद्धता प्राप्त कर चुके हैं। पद्मश्री से अलंकृत होने पर श्री अशोक कुमार साहू ने बताया कि इस महत्वपूर्ण उपलब्धि का श्रेय उनके भाइयों अनूप कुमार साहू, अवधेश कुमार साहू, अखिलेश कुमार साहू व पूरे परिवार तथा सुखदेव शुक्ला को जाता है जिन्होनें मुझे भरपूर सहयोग दिया।
विपश्यना भारत की एक अत्यन्त पुरातन साधना विधि है, जिसे करीब 2600 वर्ष पहले भगवान गौतम बुद्ध ने इसकी खोज कर लोक कल्याण के लिए इसे सर्वसुलभ बनाया था। यह अन्तर्मन की गहराइयों तक जाकर आत्मनिरीक्षण द्वारा आत्मशुद्धि करने की साधना है। ड्योदी घाट पर दस एकड़ भूमि पर निर्मित विपश्यना ध्यान केन्द्र में आठ साल में 100 देशों के नागरिक आचुके है जिसमें चाइना.ब्राजील, अमेरिका, इजराइल, रूस से लेकर इस्लामिक देश इण्डोनेशिया और मलेशिया तक से यहाँ पर साधना के लिये आते रहते है। विपश्यना की व्यवहारिक शिक्षा विश्व के सभी प्राणियों को बिना किसी जाति, वर्ण, धर्म, नस्ल और देश के भेदभाव के बिना किसी शुल्क के आवासीय पाठ्यक्रमों के अन्तर्गत सिखाई जाती है।